मेघालय हाईकोर्ट ने प्रेमी के खिलाफ पॉस्को के तहत दर्ज मामले को किया रद्द, कहा 16 साल की पीड़िता यौन संबंध का निर्णय लेने के लिए सक्षम

मेघालय हाईकोर्ट ने प्रेमी के खिलाफ पॉस्को के तहत दर्ज मामले को किया रद्द, कहा 16 साल की पीड़िता यौन संबंध का निर्णय लेने के लिए सक्षम

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  • June 23, 2023
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मेघालय हाई कोर्ट ने हाल ही में पॉस्को के तहत अपराध के मामले में आरोपी के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द किये जाने का आदेश दिया।

कोर्ट इस मामले में आरोपी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमे उस के खिलाफ एक नाबालिग के साथ यौन संबध बनाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।

कोर्ट ने कहा कि एक 16 साल की नाबालिग लड़की को यौन संबध के संबंध में सचेत निर्णय लेने में सक्षम माना जा सकता है।

जस्टिस डब्लू दिएंगदोह की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस उम्र के नाबालिग के शारीरिक और मानसिक विकास को देखते हुए ऐसा विचार करना तर्कसंगत है कि ऐसा व्यक्ति यौन संबध के संबंध में निर्णय लेने के लिए सक्षम है।

इस मामले में आरोपी याचिकाकर्ता की गृहकार्य करने के दौरान पीड़िता के साथ दोस्ती हो गई थी जिसके बाद उन दोनों में प्रेम संबध स्थापित हो गया था। 18 जनवरी 2020 को याचिकाकर्ता पीड़िता को अपने माता पिता से परिचय कराने अपने घर ले गया। उसके बाद याचिकाकर्ता पीड़िता को अपने चाचा के घर ले गया जहाँ दोनों रात में रुके थे। रात्रि विश्राम के पश्चात् याचिकाकर्ता और पीड़िता के मध्य यौन संबंध स्थापित हुआ था। जिसके बाद नाबालिग की माँ ने याचिकाकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 363 और पॉस्को अधिनियम की धारा 3 (a) और 4 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज कराई थी।

याचिकाकर्ता / आरोपी ने सीआरपीसी की धारा 482 के अंतर्गत याचिका दायर कर कोर्ट से इस मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की गुहार लगाई थी।

याचिकाकर्ता का तर्क था कि यह मामला यौन संबधित अपराध का नहीं है जैसा कि एफआईआर में दावा किया गया है क्योँकि नाबालिग ने सी आरपीसी की धारा 164 के अंतर्गत दर्ज प्रस्तुति में कहा है वह याचिकाकर्ता की प्रेमिका है और उन दोनों ने आपसी सहमति से संबंध स्थापित  किए थे और इस संबंध में कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं की गई थी।

कोर्ट ने इस संबंध में विजयलक्ष्मी बनाम राज्य के मामले में मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर भरोसा जताते हुए कहा कि पीड़िता की उम्र के लोगों के शारीरिक और मानसिक विकास पर विचार करते हुए यह मान लेना तर्कसंगत है कि ऐसे लोग यौन संबंध के मामले में जागरूक निर्णय लेने के लिए सक्षम होते हैं।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द किए जाने का आदेश दिया।

केस टाइटल : जॉन फ्रेंक्लिन शिल्ला बनाम स्टेट ऑफ़ मेघालय व अन्य (Crl.Petn. No. 3 of 2023)

आदेश यहाँ पढ़ें –

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